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राजा और प्रजा की कहानी
उसके साथ अन्य तीन व्यक्ति भी रुक गए नवयुवक ने अपने गले में पड़े हुए फिर गिलास को उठा कर चारों ओर देखा तो उस पर चार साथियों से वह इधर तो कुछ दिखाई नहीं पता लगता हैबहुत दूर निकल आए हैं तो चलो सामने जो वृक्ष का झुंड है उसी की छाया में ठहरे नवयुवक जेब से रेशमी रुमाल निकाल कर मुंह पछता हुआ बोला घोड़े को बांधो अभी ही ठहरेंगे धूप ढल जाने पर चलेंगे चारों बड़े वक्षों से बांध दिए गए उनकी चीनी खोल दी गई और उनके नीचे के कंबल निकाल कर भूमि पर बिछा दिए गए कंबल भी जाने पर एक नवयुवक से कहा आइए बैठिए नवयुवक कमरों की ओर देखकर किंचित केंद्र भाव से बोला क्या बैठे हैं बड़ी जोर की प्यास लगी है इधर कोई बस्ती दिखाई नहीं पड़ती स्वास्थ्य में तो पानी होगा ही नहीं नहीं श्रीमान दोनों खाली है इस समय गिलास पानी के लिए मैं सब कुछ दे सकता हूं पानी इतनी मूल्यवान वस्तु है एक कभी-कभी ही मालूम पड़ता है नवयुवक की आवाज सुनकर तीन व्यक्ति अधीर होकर एक ने दूसरे से कहा चलो हम तुम पानी की खोज में चलें परंतु कहां जाओगे किधर जाओगे ऐसा ना हो कि तुम्हारा साथ भी छूट जाए साथ कैसे
छूटेगा हम लोग इसी स्थान पर लौट आएंगे अच्छा जाओ लेकिन बहुत दूर मत जाना वह दोनों व्यक्ति अपने अपने घोड़े पर जीन कस कर चल दिए उनके जाने के थोड़ी देर पश्चात एक देहाती लोटा डोर कंधे पर डाले हुए सामने से आता दिखाई पड़ा नवयुवक ने अपने साथी से कहा यह व्यक्ति जो सामने से आ रहा है इधर का ही रहने वाला मालूम होता है इसे बुलाओ दूसरे ग्रुप में हाथ के सारे से देहाती को बुलाया देहाती के आने पर नवयुवक ने उससे पूछा क्यों भाई तुम इधर के ही रहने वाले हो देहाती ही ने दोनों को सिर से पैर तक देख कर कहा हां साहब रहता तो इधर ही हूं यहां कहीं पानी मिल सकता है देहाती ने कहा मिलना तो चाहिए चाहिए की बात तो मैं नहीं पूछता मिल सकता है हां तलाश किया जाए तो मिलेगा कि नहीं तो लव कहीं से हम लोगों का प्यार के मारे दम निकल रहा है तुम्हें इनाम मिलेगा देहाती बोला मेरे पास तो यही लुटिया है आपके पास कोई लौटा होता है नवयुवक ने साथी की ओर देखकर विशाल पूर्ण सर से कहा देखो भाग्य की बात दोनों क्लास कभी भी दोनों ले गए हैं साथी ने कहा तो ऐसा करें मैं इसके साथ चला जाऊं मैं वहीं से भी आऊंगा आपके लिए रोटी मिले आऊंगा नवयुवक प्रसन्न होकर बोला हां जी ठीक है जाओ जल्दी जाओ और पानी ले आओ युवक देहाती के साथ एक और चला गया 20 मिनट पश्चात दोनों लौटे देहाती के हाथ में जल से भरा लोटा था नवयुवक ने पूछा पानी कहां मिला उसके साथ ही ने कहा यहां से थोड़ी दूर है कहां है परंतु वह स्थान पर है कि अंजाम आदमी को पता नहीं लगता है अब तो तुम देखी आए हो इतना कहकर नवयुवक ने पानी पिया संतोष शादी घर छोड़कर रुमाल से मुंह पहुंचता हुआ वह बोला अब जाकर होश ठिकाने हुए हो ओहो मनुष्य एक साथ कितना विशाल इतना शक्तिहीन शक्तिशाली इतना की विश्व को वश में कर लेता है और किसी चीज व्याकुल हो जाता है यह क्या कर युवक ने अपने साथी से कहा इस देहाती को एक अशरफी दे दो हाथी ने जेब से एक अक्षर से निकालकर देहाती की ओर बढ़ाई देहाती नेम्स रफी की ओर देख कर पूछा यह किस लिए पानी का मूल्य देहाती मुस्कुराया होगा ईश्वर ने पानी इसलिए नहीं बनाया कि वह बेचा जाए उस पर सब का समान अधिकार हे ईश्वर की बनाई और दी हुई वस्तुओं का मूल्य कैसे ले सकता हूं नवयुवक कुछ होता तलाक होकर देहाती की ओर देखता रहा फिर बोला यह पानी का मूल्य नहीं तुम्हारे परिश्रम का पुरस्कार है मेरे परिश्रम का पुरस्कार मैंने परिश्रम ही कौन सा किया है प्यासे को पानी पिलाना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य कर्तव्य में पुरस्कार का क्या काम है तुम्हारी इच्छा तुम्हारा हम पर एहसान रहेगा ना ना यह एहसान का काम नहीं अच्छा और कुछ कम है कुछ नहीं बताता हूं अभी दूर जाना है सांस तक पहुंचूंगा किस गांव में रहते हो नवयुवक ने पूछा चंदनपुर में अच्छा तो जाता हूं प्रणाम!देहाती चल दिया उसके दूर जाने पर नवयुवक ने कहा "यह देहाती है परंतु उसका हृदय कितना विशाल है मैं तो उसकी बातें सुनकर दंग रह गया" जिसमें पुरस्कार की बात कह रहा था उसने मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि मैं उसके सामने एक बहुत अच्छा आदमी हूं नवयुवक ने साथिया बात तो ठीक है मैं भी निरुत्तर हो गया था उसी समय वह दोनों जो पानी की खोज में गए थे वापस आ गए नवयुवक ने मुस्कुरा कर पूछा क्यों पानी लाए है उसमें से एक निकल आए तो है पर साथ नहीं उसे फेंक दो हमें बहुत ही उत्तम पानी का कुआं मिल गया है उसमें से 2 सो जाओ जी 5 वर्ष बीत गए तथा उसके गांव में अकाल पड़ गया राजा की ओर से वसूली के लिए शक्ति होने लगी गांव में त्राहि- त्राहि मच गई अंत में जब राज्य कर्मचारियों का अत्याचार रहे हो उठा तो एक दिन चंद्रपुर के वृद्धों की पंचायत हुई इस पंचायत में हमारा पूर्व परिचित व्यक्ति था गांव के मुखिया ने कहा क्यों भई भाइयों अब क्या होगा फसल हुई नहीं हम लोगों के बाल बच्चे भूखे मर रहे हैं इधर सरकारी लगाने के लिए राज्य के कर्मचारी हम पर हुए अत्याचार कर रहे हैं 1 ग्राम निवासी बोला बड़े महाराष्ट्र बड़े दयावान थे वह होते तो तो यह कभी नहीं होता यार अबे तो है नहीं उनके पुत्र हैं उनसे कोई आशा है मुखिया ने पूछा उनके बारे में तो हम जानते नहीं कैसे है इन्हें गद्दी पर बैठे 2 वर्ष हुए हैंअभी तक तो इनसे कोई काम नहीं पड़ा हमारे समझ में तो कुछ आदमी जाकर महाराज से प्रार्थना करें शायद कुछ तैयार करें एक तीसरे ने कहा इसके अतिरिक्त और कोई युक्ति नहीं कर्मचारी लोग तो मांगूंगी नहीं मुखिया ने कहा यह कैसे मान सकते हैं राजा की आज्ञा के बिना बिना मांगे तो फिर यही होना चाहिए कि कुछ आदमी महाराज की शरण में जाकर फरियाद करें कौन-कौन जाएगा 1 चौथे व्यक्ति ने पूछा एक मुखिया हो और 4 प्रतिनिधि और होने चाहिए एक सज्जन बोले मुखिया ने प्रसन्न होकर कहा यह बहुत ठीक है इसके पश्चात प्रतिनिधियों का चुनाव हुआ हमारा वही पूर्व परिचित व्यक्ति भी चला गया उचित समय पर 1 लोग महाराज की जोड़ी पर पहुंचे में परंतु महाराज तक पहुंचना कठिन था 3 दिन तक के महाराज के राज प्रसाद के सामने मैदान में पड़े रहे चौथे दिन मुखिया ने कहा हम लोग इतना कष्ट सहकर आए हैं पर फिर भी कोई लाभ नहीं मार आज तक हमारी खबर ही नहीं पहुंचे पहुंचता क्या बताएं ऐसा अंजू तो कहीं नहीं देखा फरियाद करने आए तो फिर याद भी नहीं सुनी जाती महाराष्ट्र पता लग जाए तो यह मेरी फरियाद सुनेंगे परंतु उन तक खबर ही नहीं पहुंचती ना हो तो प्रार्थना पत्र लिखवा कर भेजा जाए वही युवक बोल उठा शाम को महाराज की सवारी इधर से निकलती है वही महाराज है ना हां भाई होंगे और किसी की सवारी ऐसी क्यों निकलेगी वह बोला तो आज मैं महाराज से बात करूंगा कैसे करेंगे अब यह उसी समय देख लेना शाम को निश्चित समय पर महाराज की सवारी निकली एक बढ़िया रिटर्न पर महाराज सुशोभित हॉस्पिटल पर चार घोड़े रोते हुए से 4 साल पीछे और 4 आगे चल रहे थे युवक पहले ही सड़क के निकट जाकर बैठ गया शिवाजी महाराज कीर्तन आई क्योंकि वह दीपक का सड़क के बीचों-बीच ले लिया सवारों ने हटो हटो कहकर कहा पर वह निश्चल पड़ा पड़ा रहा परिणाम यह हुआ कि सवारी रुक गए और फिटिंग भी रुक गई दो सवार घोड़ों से उतरे और उन्हें ठोकर मारकर युवक को उठाना चाहा परंतु वह पढ़ा ही रहा अंत में उन्होंने उनके दोनों हाथ पकड़ कर उठाया नाराज नवंबर से कहा कौन है
इसे हमारे सामने लाओ युवक महाराज के सामने पहुंच गया महाराज ने पूछा तुम कौन है युवक सिर झुकाए हुए था उस ने सिर उठाया और महाराज की ओर देखा महाराज के मुख पर दृष्टि प्रतियोगिता उसने देखा कि और कोई नहीं है जिसे वर्ष पहले जंगल में पानी पिलाया था परंतु उसने इस विश्व में को तुरंत दिवालिया महाराज ने फिर पूछा तुम कौन हो चंदनपुर का रहने वाला हूं 5 आदमी 3 दिन से यहां पड़े हैं श्रीमान के पास फरियाद लेकर आए हैं क्या फरियाद है अपने गांव के समाचार सुनाया तुम्हारे साथ ही कहां है कोई आवश्यकता नहीं है उसके पश्चात महाराज उसके साथियों को दिखाओ जो आज
तुमने हमें पहचाना हम कल ही पहचान लिया था परंतु कल तुमने कुछ नहीं कहा क्या कहता कहने योग्य कौन सी थी यदि मैं तुम्हें नहीं पहचानता तो तो क्या कुछ नहीं कम से कम तुम्हें अपनी पहचान तो देनी चाहिए थी परमावतार मैं उसके बाद याद दिला कर कुछ नहीं कहना चाहता था मेरा जो कर्तव्य था मैंने किया और अभिमान से यही प्रार्थना है 'कि श्रीमान अपना कर्तव्य करें श्रीमान अपना कर्तव्य पालन करेंगे तो मेरे ऊपर भी श्रीमान का कोई एहसान ना होगा'महाराज युवक की स्पष्टवादिता देखकर स्थगित रहेगी बड़ी देर बाद बोले अच्छा इस फसल की मालगुजारी माफ की जाती है यह तो हमारा कर्तव्य हुआ और भविष्य में चंदनपुर की मालगुजारी सदैव के लिए माफ की जाती है यह किस प्रकार उस पर एहसान लाने में सफल हुए परंतु तुरंत हाथ जोड़कर बोला नहीं दयानिधान ऐसा ना कीजिए ऐसा करके श्रीमान हमें अपनी सेवा से वंचित रखेंगे राज्य का कर दान देना हमारा कर्तव्य है हम इस कर्तव्य का पालन अवश्य करेंगे यदि ईश्वर हमें देखा तो हम श्रीमान की सेवा अवश्य करेंगे केवल यही एक बात है जिसके द्वारा हम श्रीमान के चरणों में अपनी श्रद्धांजलि चलते रहते हैं अतः इस सौभाग्य शहर में वंचित मत कीजिए महाराज को छोड़ तक स्थित दृष्टि से देखते रहे फिर वह ले तूने मुझे परास्त कर दिया अच्छा सा जो तेरी इच्छा हो वही करें! धन्यवाद आपका शुभेच्छु
छूटेगा हम लोग इसी स्थान पर लौट आएंगे अच्छा जाओ लेकिन बहुत दूर मत जाना वह दोनों व्यक्ति अपने अपने घोड़े पर जीन कस कर चल दिए उनके जाने के थोड़ी देर पश्चात एक देहाती लोटा डोर कंधे पर डाले हुए सामने से आता दिखाई पड़ा नवयुवक ने अपने साथी से कहा यह व्यक्ति जो सामने से आ रहा है इधर का ही रहने वाला मालूम होता है इसे बुलाओ दूसरे ग्रुप में हाथ के सारे से देहाती को बुलाया देहाती के आने पर नवयुवक ने उससे पूछा क्यों भाई तुम इधर के ही रहने वाले हो देहाती ही ने दोनों को सिर से पैर तक देख कर कहा हां साहब रहता तो इधर ही हूं यहां कहीं पानी मिल सकता है देहाती ने कहा मिलना तो चाहिए चाहिए की बात तो मैं नहीं पूछता मिल सकता है हां तलाश किया जाए तो मिलेगा कि नहीं तो लव कहीं से हम लोगों का प्यार के मारे दम निकल रहा है तुम्हें इनाम मिलेगा देहाती बोला मेरे पास तो यही लुटिया है आपके पास कोई लौटा होता है नवयुवक ने साथी की ओर देखकर विशाल पूर्ण सर से कहा देखो भाग्य की बात दोनों क्लास कभी भी दोनों ले गए हैं साथी ने कहा तो ऐसा करें मैं इसके साथ चला जाऊं मैं वहीं से भी आऊंगा आपके लिए रोटी मिले आऊंगा नवयुवक प्रसन्न होकर बोला हां जी ठीक है जाओ जल्दी जाओ और पानी ले आओ युवक देहाती के साथ एक और चला गया 20 मिनट पश्चात दोनों लौटे देहाती के हाथ में जल से भरा लोटा था नवयुवक ने पूछा पानी कहां मिला उसके साथ ही ने कहा यहां से थोड़ी दूर है कहां है परंतु वह स्थान पर है कि अंजाम आदमी को पता नहीं लगता है अब तो तुम देखी आए हो इतना कहकर नवयुवक ने पानी पिया संतोष शादी घर छोड़कर रुमाल से मुंह पहुंचता हुआ वह बोला अब जाकर होश ठिकाने हुए हो ओहो मनुष्य एक साथ कितना विशाल इतना शक्तिहीन शक्तिशाली इतना की विश्व को वश में कर लेता है और किसी चीज व्याकुल हो जाता है यह क्या कर युवक ने अपने साथी से कहा इस देहाती को एक अशरफी दे दो हाथी ने जेब से एक अक्षर से निकालकर देहाती की ओर बढ़ाई देहाती नेम्स रफी की ओर देख कर पूछा यह किस लिए पानी का मूल्य देहाती मुस्कुराया होगा ईश्वर ने पानी इसलिए नहीं बनाया कि वह बेचा जाए उस पर सब का समान अधिकार हे ईश्वर की बनाई और दी हुई वस्तुओं का मूल्य कैसे ले सकता हूं नवयुवक कुछ होता तलाक होकर देहाती की ओर देखता रहा फिर बोला यह पानी का मूल्य नहीं तुम्हारे परिश्रम का पुरस्कार है मेरे परिश्रम का पुरस्कार मैंने परिश्रम ही कौन सा किया है प्यासे को पानी पिलाना प्रत्येक मनुष्य का कर्तव्य कर्तव्य में पुरस्कार का क्या काम है तुम्हारी इच्छा तुम्हारा हम पर एहसान रहेगा ना ना यह एहसान का काम नहीं अच्छा और कुछ कम है कुछ नहीं बताता हूं अभी दूर जाना है सांस तक पहुंचूंगा किस गांव में रहते हो नवयुवक ने पूछा चंदनपुर में अच्छा तो जाता हूं प्रणाम!देहाती चल दिया उसके दूर जाने पर नवयुवक ने कहा "यह देहाती है परंतु उसका हृदय कितना विशाल है मैं तो उसकी बातें सुनकर दंग रह गया" जिसमें पुरस्कार की बात कह रहा था उसने मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि मैं उसके सामने एक बहुत अच्छा आदमी हूं नवयुवक ने साथिया बात तो ठीक है मैं भी निरुत्तर हो गया था उसी समय वह दोनों जो पानी की खोज में गए थे वापस आ गए नवयुवक ने मुस्कुरा कर पूछा क्यों पानी लाए है उसमें से एक निकल आए तो है पर साथ नहीं उसे फेंक दो हमें बहुत ही उत्तम पानी का कुआं मिल गया है उसमें से 2 सो जाओ जी 5 वर्ष बीत गए तथा उसके गांव में अकाल पड़ गया राजा की ओर से वसूली के लिए शक्ति होने लगी गांव में त्राहि- त्राहि मच गई अंत में जब राज्य कर्मचारियों का अत्याचार रहे हो उठा तो एक दिन चंद्रपुर के वृद्धों की पंचायत हुई इस पंचायत में हमारा पूर्व परिचित व्यक्ति था गांव के मुखिया ने कहा क्यों भई भाइयों अब क्या होगा फसल हुई नहीं हम लोगों के बाल बच्चे भूखे मर रहे हैं इधर सरकारी लगाने के लिए राज्य के कर्मचारी हम पर हुए अत्याचार कर रहे हैं 1 ग्राम निवासी बोला बड़े महाराष्ट्र बड़े दयावान थे वह होते तो तो यह कभी नहीं होता यार अबे तो है नहीं उनके पुत्र हैं उनसे कोई आशा है मुखिया ने पूछा उनके बारे में तो हम जानते नहीं कैसे है इन्हें गद्दी पर बैठे 2 वर्ष हुए हैंअभी तक तो इनसे कोई काम नहीं पड़ा हमारे समझ में तो कुछ आदमी जाकर महाराज से प्रार्थना करें शायद कुछ तैयार करें एक तीसरे ने कहा इसके अतिरिक्त और कोई युक्ति नहीं कर्मचारी लोग तो मांगूंगी नहीं मुखिया ने कहा यह कैसे मान सकते हैं राजा की आज्ञा के बिना बिना मांगे तो फिर यही होना चाहिए कि कुछ आदमी महाराज की शरण में जाकर फरियाद करें कौन-कौन जाएगा 1 चौथे व्यक्ति ने पूछा एक मुखिया हो और 4 प्रतिनिधि और होने चाहिए एक सज्जन बोले मुखिया ने प्रसन्न होकर कहा यह बहुत ठीक है इसके पश्चात प्रतिनिधियों का चुनाव हुआ हमारा वही पूर्व परिचित व्यक्ति भी चला गया उचित समय पर 1 लोग महाराज की जोड़ी पर पहुंचे में परंतु महाराज तक पहुंचना कठिन था 3 दिन तक के महाराज के राज प्रसाद के सामने मैदान में पड़े रहे चौथे दिन मुखिया ने कहा हम लोग इतना कष्ट सहकर आए हैं पर फिर भी कोई लाभ नहीं मार आज तक हमारी खबर ही नहीं पहुंचे पहुंचता क्या बताएं ऐसा अंजू तो कहीं नहीं देखा फरियाद करने आए तो फिर याद भी नहीं सुनी जाती महाराष्ट्र पता लग जाए तो यह मेरी फरियाद सुनेंगे परंतु उन तक खबर ही नहीं पहुंचती ना हो तो प्रार्थना पत्र लिखवा कर भेजा जाए वही युवक बोल उठा शाम को महाराज की सवारी इधर से निकलती है वही महाराज है ना हां भाई होंगे और किसी की सवारी ऐसी क्यों निकलेगी वह बोला तो आज मैं महाराज से बात करूंगा कैसे करेंगे अब यह उसी समय देख लेना शाम को निश्चित समय पर महाराज की सवारी निकली एक बढ़िया रिटर्न पर महाराज सुशोभित हॉस्पिटल पर चार घोड़े रोते हुए से 4 साल पीछे और 4 आगे चल रहे थे युवक पहले ही सड़क के निकट जाकर बैठ गया शिवाजी महाराज कीर्तन आई क्योंकि वह दीपक का सड़क के बीचों-बीच ले लिया सवारों ने हटो हटो कहकर कहा पर वह निश्चल पड़ा पड़ा रहा परिणाम यह हुआ कि सवारी रुक गए और फिटिंग भी रुक गई दो सवार घोड़ों से उतरे और उन्हें ठोकर मारकर युवक को उठाना चाहा परंतु वह पढ़ा ही रहा अंत में उन्होंने उनके दोनों हाथ पकड़ कर उठाया नाराज नवंबर से कहा कौन है
इसे हमारे सामने लाओ युवक महाराज के सामने पहुंच गया महाराज ने पूछा तुम कौन है युवक सिर झुकाए हुए था उस ने सिर उठाया और महाराज की ओर देखा महाराज के मुख पर दृष्टि प्रतियोगिता उसने देखा कि और कोई नहीं है जिसे वर्ष पहले जंगल में पानी पिलाया था परंतु उसने इस विश्व में को तुरंत दिवालिया महाराज ने फिर पूछा तुम कौन हो चंदनपुर का रहने वाला हूं 5 आदमी 3 दिन से यहां पड़े हैं श्रीमान के पास फरियाद लेकर आए हैं क्या फरियाद है अपने गांव के समाचार सुनाया तुम्हारे साथ ही कहां है कोई आवश्यकता नहीं है उसके पश्चात महाराज उसके साथियों को दिखाओ जो आज
तुमने हमें पहचाना हम कल ही पहचान लिया था परंतु कल तुमने कुछ नहीं कहा क्या कहता कहने योग्य कौन सी थी यदि मैं तुम्हें नहीं पहचानता तो तो क्या कुछ नहीं कम से कम तुम्हें अपनी पहचान तो देनी चाहिए थी परमावतार मैं उसके बाद याद दिला कर कुछ नहीं कहना चाहता था मेरा जो कर्तव्य था मैंने किया और अभिमान से यही प्रार्थना है 'कि श्रीमान अपना कर्तव्य करें श्रीमान अपना कर्तव्य पालन करेंगे तो मेरे ऊपर भी श्रीमान का कोई एहसान ना होगा'महाराज युवक की स्पष्टवादिता देखकर स्थगित रहेगी बड़ी देर बाद बोले अच्छा इस फसल की मालगुजारी माफ की जाती है यह तो हमारा कर्तव्य हुआ और भविष्य में चंदनपुर की मालगुजारी सदैव के लिए माफ की जाती है यह किस प्रकार उस पर एहसान लाने में सफल हुए परंतु तुरंत हाथ जोड़कर बोला नहीं दयानिधान ऐसा ना कीजिए ऐसा करके श्रीमान हमें अपनी सेवा से वंचित रखेंगे राज्य का कर दान देना हमारा कर्तव्य है हम इस कर्तव्य का पालन अवश्य करेंगे यदि ईश्वर हमें देखा तो हम श्रीमान की सेवा अवश्य करेंगे केवल यही एक बात है जिसके द्वारा हम श्रीमान के चरणों में अपनी श्रद्धांजलि चलते रहते हैं अतः इस सौभाग्य शहर में वंचित मत कीजिए महाराज को छोड़ तक स्थित दृष्टि से देखते रहे फिर वह ले तूने मुझे परास्त कर दिया अच्छा सा जो तेरी इच्छा हो वही करें! धन्यवाद आपका शुभेच्छु
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